गोपाल कृष्ण नायक - दर्रामुडा में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन वृंदावन से पधारे श्री सर्वेश्वर शरण ने कहें कि कभी भी संत की सरलता का गलत अर्थ लगाने की भूल मत करना नहीं तो पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।
कथा प्रवक्ता ने कहें कि सरलता ही तो महापुरुषों का आभूषण है संत सरलचित्त जगत हित जान स्वभाव स्नेह जगत का कल्याण करने के लिए ही सरलता की चादर ओढ़कर जीव पर कृपा करते हैं लेकिन जो उनकी सरलता का गलत फायदा उठाते हैं उन्हें भगवान कभी भी क्षमा नहीं करते क्योंकि प्रभु श्रीराम अपना अपमान सहन कर सकते हैं पर संतों का नहीं।
सती प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने कहें कि एक बार त्रेता युग में भगवान शंकर अपनी अर्धांगिनी सती के साथ कुंभज ऋषि के यहां पधारे जहां ऋषि ने दोनों को प्रणाम किया परंतु माता सती ने इस प्रणाम का उल्टा अर्थ लगा लिया कि जो आते ही हमारी चरणों में गिरने लगा वो क्या कथा कहेगा फलस्वरुप माता सती कथा से वंचित रह जाती हैं जिन्हें बाद में इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ा।
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