आदिवासी सांसद विष्णुदेव साय पर बिफरा सर्व आदिवासी समाज, फूंका पुतला ! कहा, नहीं चाहिए आदिवासी-विरोधी सांसद

खरसिया@10 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 17 दिनों से कुनकुनी में आंदोलनरत मूलनिवासी संघर्ष समिति एवं सर्वआदिवासी समाज ने अपनी उपेक्षा पर क्रोधित होते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री भारत सरकार एवं रायगढ़ सांसद विष्णुदेव साय का पुतला दहन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।

आज आंदोलन के 17 वें दिन आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे सर्वआदिवासी समाज एवं एसटी एससी ओबीसी मोर्चा के जिला संयोजक सुनील मिंज ने क्षेत्रीय सांसद विष्णुदेव साय पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिन आदिवासियों एवं मूलनिवासियों के वोटबैंक के दम पर सांसद एवं मंत्री की कुर्सी पर बैठे सांसद को खरसिया विधानसभा सहित उनके संसदीय क्षेत्र में आदिवासी समाज के साथ हो रहे अत्याचार प्रशासनिक एवं औद्योगिक आतंकवाद के संबंध में कई बार ध्यानाकर्षण कराने एवं रायगढ़ जिले में पेशा-एक्ट एवं पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के अनुरूप आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए बार-बार निवेदन करने के बावजूद उनके द्वारा कभी भी अपने संसदीय क्षेत्र में आदिवासियों के साथ हो रहे शोषण एवं अत्याचार पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, वे अपने राजनीतिक आकाओं एवं उद्योगपतियों की कठपुतली बने नजर आ रहे हैं। हमारे आदिवासी समाज के प्रताड़ित लोग पिछले 17 दिनों से 10 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना एवं क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं, उनके द्वारा कभी भी इन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। लगता है शोषण करने वाले लोगों के साथ उनका गुप्त समझौता है, इसलिए आदिवासी समाज के द्वारा अपने ही समाज को शोषित करने वाले एवं शोषण करने वालों को संरक्षण देने वाले सांसद विष्णुदेव का पुतला फूंका गया है। वहीं यह चेतावनी दी गई है कि यदि समय रहते समाज के अन्य आदिवासी नेता हमारे हितों की रक्षा के लिए खुलकर सामने नहीं आते हैं, तो उनका भी पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया जायेगा।

आज के पुतला-दहन के साक्षी हेमसिंह राठिया, मनोहर राठिया, जगतराम राठिया, संतराम राठिया, मायाराम राठिया, वासुदेव डनसेना, शौकी राठिया, डोकरी राठिया, रामकुमारी राठिया, मालती राठिया, समारी राठिया, खीरमोहन नागवंशी, नानूराम राठिया, चंद्रिका राठिया, राजकुमार, बाबूलाल बरेठ, मदनलाल, कुमारसिंह राठिया, मदन राठिया, मुकेश डनसेना,  जगदीश राठिया, गोविंद राठिया, मोहित राठिया, नारायण राठिया, केशवसिंह, गणेशराम राठिया, राजेशसिंह मरकाम सहित दर्जनों लोग रहे।

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