रक्षा बंधन के इतिहास में पता चलता है की Raksha Bandhan Kisne Banaya कैसे इस त्यौहार की शुरुआत हुई। तो आईये जानते है की इसके पीछे की History क्या है।
chaliye दोस्तों बताते हैं हम आपको कि आखिर रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कब से हुई है दोस्तों पूरा आर्टिकल जरूर पढ़े पढ़े एक बार हम इसमें आपको इसके संबंधित कुछ तथ्य बताएंगे कि आखिर कब से रक्षाबंधन मनाया जाता है और क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है
chaliye दोस्तों बताते हैं हम आपको कि आखिर रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कब से हुई है दोस्तों पूरा आर्टिकल जरूर पढ़े पढ़े एक बार हम इसमें आपको इसके संबंधित कुछ तथ्य बताएंगे कि आखिर कब से रक्षाबंधन मनाया जाता है और क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है
राजा बलि और माँ लक्ष्मी:
सबसे पहले हम बात करेंगे राजा बलि और महालक्ष्मी से संबंधित एक कहानी या पौराणिक कथा के बारे में जिससे पता चलता है कि रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई है दोस्तों को पूरा आर्टिकल जरूर पढ़ लीजिएगा अगर अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर कर दीजिएगा
राजा बलि और लक्ष्मी माँ ने इस त्यौहार की शुरुआत की। एक दिन राजा बलि ने यज्ञ का आयोजन रखा इसी बीच भगवान विष्णु उनकी परीक्षा लेने के लिए वामनावतार में आए। उन्होंने राजा बलि से कहा की वह दान में तीन पग भूमि दे। राजा बलि ने दो पग में ही पृथ्वी और आकाश को नाप लिया था। जिसके बाद राजा बलि समझ गए थे की भगवान विष्णु उनकी परीक्षा ले रहे है।
सबसे पहले हम बात करेंगे राजा बलि और महालक्ष्मी से संबंधित एक कहानी या पौराणिक कथा के बारे में जिससे पता चलता है कि रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई है दोस्तों को पूरा आर्टिकल जरूर पढ़ लीजिएगा अगर अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर कर दीजिएगा
राजा बलि और लक्ष्मी माँ ने इस त्यौहार की शुरुआत की। एक दिन राजा बलि ने यज्ञ का आयोजन रखा इसी बीच भगवान विष्णु उनकी परीक्षा लेने के लिए वामनावतार में आए। उन्होंने राजा बलि से कहा की वह दान में तीन पग भूमि दे। राजा बलि ने दो पग में ही पृथ्वी और आकाश को नाप लिया था। जिसके बाद राजा बलि समझ गए थे की भगवान विष्णु उनकी परीक्षा ले रहे है।
आइए जानते हैं आगे क्या होगा इनके साथ
तीसरे पग के लिए उन्होंने विष्णु जी का पग अपने सिर पर रखवा लिया। उन्होंने विष्णु जी से कहा की आप मेरे साथ पाताल चले मेरा तो सब कुछ खत्म हो गया है और प्रभु उनके साथ चले गए। तो उनके जाने पर लक्ष्मी जी परेशान हो उठी। जिसके बाद वह एक गरीब महिला का रूप धारण कर राजा बलि के सामने गई।
दोस्तोंं वैसे तो महत्वपूर्ण स्थान है और हम इसे कई वर्षों से मनाते आ रहेे हैं या व्यवहार ना सिर्फ भारत मेंं बल्कि बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और जिितना महत्व भारत में है उतना ही महत्त्व अन्य्य देशों जैसेे कि नेपाल मेंं इसे भाई बहन का प्यार का त्यौहार मानकर मनाया जाता है इसी प्रकार अन्य और देश है विश्व के जहां पर यह त्यौहार बड़े ही पवित्रर ढंग से से मनाया जाता है और
लक्ष्मी माँ ने उन्हें राखी बांधी तो बलि ने कहा मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। तब लक्ष्मी जी अपने असली रूप में आ गई और उन्होंने विष्णु जी को ले जाने की बात कहीं और बलि ने उनकी बात मान ली। भगवान विष्णु ने राजा बलि को हर साल चार महीने पाताल में निवास करने का वरदान दिया। तब से ही राखी बांधने की यह परंपरा चलती आ रही है।
तीसरे पग के लिए उन्होंने विष्णु जी का पग अपने सिर पर रखवा लिया। उन्होंने विष्णु जी से कहा की आप मेरे साथ पाताल चले मेरा तो सब कुछ खत्म हो गया है और प्रभु उनके साथ चले गए। तो उनके जाने पर लक्ष्मी जी परेशान हो उठी। जिसके बाद वह एक गरीब महिला का रूप धारण कर राजा बलि के सामने गई।
दोस्तोंं वैसे तो महत्वपूर्ण स्थान है और हम इसे कई वर्षों से मनाते आ रहेे हैं या व्यवहार ना सिर्फ भारत मेंं बल्कि बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और जिितना महत्व भारत में है उतना ही महत्त्व अन्य्य देशों जैसेे कि नेपाल मेंं इसे भाई बहन का प्यार का त्यौहार मानकर मनाया जाता है इसी प्रकार अन्य और देश है विश्व के जहां पर यह त्यौहार बड़े ही पवित्रर ढंग से से मनाया जाता है और
लक्ष्मी माँ ने उन्हें राखी बांधी तो बलि ने कहा मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है। तब लक्ष्मी जी अपने असली रूप में आ गई और उन्होंने विष्णु जी को ले जाने की बात कहीं और बलि ने उनकी बात मान ली। भगवान विष्णु ने राजा बलि को हर साल चार महीने पाताल में निवास करने का वरदान दिया। तब से ही राखी बांधने की यह परंपरा चलती आ रही है।
Post a Comment