राजधानी के उपभोक्ता एक-डेढ़ किलो कम गैस वाले सिलेंडर लेने को मजबूर हैं।
रायपुर। राजधानी के उपभोक्ता एक-डेढ़ किलो कम गैस वाले सिलेंडर लेने को मजबूर हैं। सिलेंडर डिलीवरी करने वालों के पास नापने की मशीन नहीं होती। उपभोक्ताओं कम गैस होने की शिकायत करते हैं तो डिलीवरी करने वालों का जवाब होता है कि एजेंसी जाकर खुद ला लें या तौला लें। जबकि नियम सिलेंडर डिलीवरी करते समय ग्राहकों के सामने तौल कर देने का है।
ऐसा नहीं होने से उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक किलो गैस कम होने पर सीधे 35 रुपए का घाटा हो रहा है। कभी-कभी तो गैस लीकेज की समस्या भी आ जाती है। ग्राहकों की जेब कट रही है, इसे ध्यान में रख कर नईदुनिया ने गैस की चोरी पर लगाम लगाने लगाने और ग्राहकों को जागरूक करने के लिए मुहिम शुरू की है।
#उपभोक्ता बरतें सावधानी
- डिलीवरी लेने से पहले सिलेंडर के नोजल पर लगी सफेद रंग की प्लास्टिक की सील को अच्छी तरह चेक कर लें, वह टूटी न हो।
- सिलेंडर का वजन करवाने में संकोच न करें।
- डिलीवरी करने वाले कर्मचारी से लीकेज जरूर चेक करवाएं।
- नोजल में पानी डालें। पानी में बुलबुले उठें तो समझें लीकेज है। ऐसे सिलेंडर को वापस कर दें।
- सिलेंडर एक्सपायरी डेट का है तो उसे न लें।
यह होना चाहिए
- प्लांट से सिलेंडर लोड होने से पहले तौले जाते हैं, इसके बाद गोदाम पर उतारते समय इन्हें फिर से तौलना होता है।
- उपभोक्ता को सिलेंडर देते समय फिर तौलना चाहिए।
- सप्लाई से पहले बाइसल चेक करना चाहिए,ताकि लीकेज का पता चल सके।
यह हो रहा है
- बिना तौले उपभोक्ताओं को सिलेंडर दे रहे।
- बाइसल चेक नहीं हो रहा।
#यह है नियम
किसी भी सामान को मापने के लिए माप-तौल विभाग से प्रमाणित मशीन का उपयोग किया जाना चाहिए। हर साल मशीन की जांच कराना अनिवार्य है, लेकिन एजेंसी संचालक नियमों का पालन नहीं करते।
यहां करें शिकायत
अगर गैस एजेंसी संचालक कोई समस्या न सुने या उसके निराकरण में आनाकनी करें तो उपभोक्ता संबंधित गैस एजेंसी के क्षेत्रीय अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं। उनका पता व टेलीफोन नंबर गैस बुक में दिया रहता है। कंपनी की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जाती है। अपने क्षेत्र के फूड विभाग को भी सूचित कर सकते हैं।
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