हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी की परिभाषा में नहीं आता वन नाइट स्टैंड: बॉम्बे HC

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी की परिभाषा में नहीं आता वन नाइट स्टैंड: बॉम्बे HC

मुम्बई 11 जून 2017।     किसी पुरुष और महिला के बीच बना शारीरिक संबंध अथवा वन नाइट स्टैंड हिंदू मैरिज एक्ट के तहत विवाह की परिभाषा में नहीं आता। बंबई उच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने एक आदेश में यह बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि महिला और पुरुष ने यदि शादी नहीं की है तो इस तरह के संबंध से पैदा होने वाले बच्चे को पिता की संपत्ति पर हक नहीं होगा।
जस्टिस मृदुला भटकर ने कहा, 'महिला-पुरुष के संबंध को शादी कहे जाने के लिए पारंपरिक रीति-रिवाज या फिर कानूनी प्रक्रिया के तहत शादी करना जरूरी होता है।
इच्छा या दुर्घटनावश बना शारीरिक संबंध शादी नहीं होता।

*कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 16 का हवाला दिया*

कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 16 का हवाला दिया जो खुद ऐसी शादी पर प्रतिबंध लगाता है लेकिन कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि समाज बदलाव से ही चलता है। उन्होंने कहा कि कुछ देशों में समलैंगिक यूनियनों को विवाह के रूप में स्वीकार किया जाता है, लिव-इन रिलेशनशिप को भी मान्यता है लेकिन ऐसी स्थिति में पैदा हुए बच्चे का मामला पेचीदा मुद्दा है जो कानूनी जानकारों के लिए भी काफी चुनौती भरा है।
हिंदू मैरेज ऐक्ट के तहत बच्चे के अधिकार के लिए शादी को साबित करना जरूरी होता है, भले वह शादी बाद में अवैध घोषित कर दी गई हो। कोर्ट एक व्यक्ति के मामले में सुनवाई कर रहा था, जिसकी दो पत्नियां थीं। जब यह बात साबित हो गई कि व्यक्ति ने दूसरी बार शादी की थी, कोर्ट ने उसकी दूसरी शादी को अवैध घोषित कर दिया. हालांकि, उसकी दूसरी पत्नी से जन्म लेने वाली बच्ची को संपत्ति में अधिकार दिया गया।

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