टूटी-फूटी फिसलपट्टी और झूले बच्चों को जख्मी करने आमादा

विष्णुचन्द्र शर्मा खरसिया

बचपन के साथ खेलों का अभिन्न नाता है। हर कोई अपने बच्चों को पढ़ने के साथ खेलने की शिक्षा देता है। परन्तु नगर का एकमात्र चिल्ड्रन-पार्क उजाड़ हो चुका है। लिहाजा हजारों नौनिहाल मन मार कर रह जाते हैं।

विकास एवं स्वच्छता के तमगे अपने नाम कर रहे नगर-प्रशासन को भावी पीढ़ी के मायूस बचपन की परवाह जाने क्यूं नहीं हो रही। ऐसा नई कि नगर में निर्माण कार्य ना हो रहे हों, ऑडिटोरिम, स्पोर्ट्स-काम्पलेक्स के अलावा कामर्शियल-काम्प्लेक्स की तो यहां कतार खड़ी कर दी गई है। अगर कुछ रह गया तो बस मासूमों के बचपन को अनमोल यादों के साथ खुशनुमा वक्त और खिलखिलाती हंसी देने वाला चिल्ड्रन पार्क !

रखरखाव के अभाव में नगर का इकलौता पार्क भी जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। टूटी-फूटी फिसलपट्टी और झूले बच्चों को जख्मी करने आमादा हैं तो उखड़ती टाईल्स चोटिल करने को! ऐसे में पालकों को सतत बच्चों की सुरक्षा का भय बना रहता है।

पहले तो अस्पताल के सामने स्थित उद्यान को तीन-तल्ला काम्प्लेक्स बना दिया गया। आदर्श स्कूल के पीछे पार्क-नुमा स्थान था, जहाँ बच्चे कुछ खेल-कूद लिया करते थे। परन्तु नगर-प्रशासन ने उसे कचरा-विकेन्द्रीयकरण के लिये चयनित कर तहश-नहश कर डाला। ऐसे में बच्चे टीवी और मोबाईल-गेम्स खेल जब मन बहलाते हैं तो पालकों की नजरों में खटकते भी हैं और अपना स्वास्थ्य भी बिगाड़ते हैं। पर इससे नगर प्रशासन को क्या वास्ता ?

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