लाखों की नौकरी छोड़ खेती कर रही है छ.ग. की बेटी, दुबई तक जा रही इनकी सब्जियां

लाखों की नौकरी छोड़ खेती कर रही है छ.ग. की बेटी, दुबई तक जा रही इनकी सब्जियां

By Vikas Hota
किसान काम न करे तो दुनिया ठप्प पड़ जाए. लेकिन विडंबना है कि भारत में किसान को कभी उसकी मेहनत का सही फल नहीं मिल पाता है. अखबारों में आए दिन कर्ज के बोझ में दबे किसानों की आत्महत्या की खबरें छपती हैं. इन सारी बातों को जानते हुए भी छत्तीसगढ़ की इस लड़की ने वह कदम उठाया जिसके लिए आज के गांव की मिट्टी में पले-बढ़े नौजवानों का कलेजा कांपने लगता है.
मिलिए वल्लरी चंद्राकर से. 27 वर्षीय वल्लरी ने कंप्यूटर साइंस से एमटेक करने के बाद रायपुर के दुर्गा कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी की, लेकिन साल भर में ही छोड़ दी. जिस मकसद के लिए वल्लरी ने नौकरी छोड़ी, उसे जानकर लोग उन्हें पढ़ा-लिखा मूर्ख तक कहने लगे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वल्लरी ने पिता की गांव में खरीदी हुई करीब 27 एकड़ जमीन पर खेती करने का कदम उठाया. वल्लरी के पिता मौसम विज्ञान केंद्र रायपुर में इंजीनियर हैं. पिता ने जमीन फॉर्म हाउस बनाने के लिए जमीन खरीदी थी. वल्लरी ने इस मौके का लाभ उठाया और वहां सब्जियां उगाना शुरू कर दिया. कमाल की बात यह है कि इससे पहले उनके परिवार में तीन पीढ़ियों से किसी ने खेती नहीं की थी. फिर भी वल्लरी अपनी मुहिम पर सफल रहीं.

वल्लरी के फॉर्म में उगाई गई सब्जियां इंदौर, नागपुर, बेंगलुरु और दिल्ली में तो बेची ही जाती है, अब उन्हें विदेशों से भी ऑर्डर मिलने लगे हैं. सब्जियां दुबई और इजराइल जैसे देशों में निर्यात करने के लिए तैयार हैं. उन्हें दुबई और इजराइल से टमाटर और लौकी का ऑर्डर मिला हुआ है. ये सब्जियां दो से ढाई महीने में तैयार हो जाएंगी.

वल्लरी कहती है कि खेती से ज्यादा किसी भी नौकरी की अहमियत नहीं हो सकती है. यह काम उन्हें सुकून देता है.
वल्लरी इंटरनेट के जरिये खेती की नई तकनीकों के बारे में सीखती हैं और गांवों के किसानों से जानकारी साझा करती हैं. वह किसानों के लिए वर्कशॉप्स का भी आयोजन कराती हैं.

खेती-किसानी में रम चुकी वल्लरी शाम को करीब 5 बजे जब घर लौटती हैं तो गांव लड़कियों को अंग्रेजी और कम्प्यूटर साइंस भी पढ़ाती हैं.

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